Friday, February 25, 2011


कहाँ सोचा था
जिंदगी में चलते चलते ,
राहें इतनी मुश्किल होंगी ,
एक बार जो खो दिया ,
तो ढूँढना,
मुश्किल होगा
जब मन कुछ और कहे,
अंतर्मन कुछ और,
मन को संभालना,
मुश्किल होगा
राह में चलते चलते,
साथ चलते ,
लोगों को संभालना ,
मुश्किल होगा
पर
शायद
इन्ही मुश्किलों से
जिंदगी बनती है
टेढ़े मेधे रास्तों से
गुजरते हुए ,
अपनी कहानियाँ गढ़ती है ,
साथ चलें न चलें
अपनी धुन में चलती है,
शायद
यही
जिंदगी है

1 comment:

Sonu said...

Thoughtful