Thursday, September 19, 2013

तुम्हारी आखें !!

और तुम्हारा यूँ चुप रह जाना
सब कुछ आँखों आँखों में ही कह जाना
बहुत अच्छा लगता है
मन करता है
बस यूँ ही बैठी रहूँ
देखती रहूँ
बस झाकती रहूँ
दीखता है 
वो हर प्रतिबिम्ब 
जिसको देखना चाहा है अब तक
दिल से
धड़कन से
सपने भी


रात रात भर
क्या
दिन के उजाले में भी
खो खो कर

सब कुछ दीखता है


तुम्हारी इन बड़ी बड़ी आँखों में 

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