Wednesday, February 12, 2014

स्वीकारोक्ति

 तुम भरकस कोशिश करना
तोड़ने की मुझे
मसल देना
मेरी सारी ख्वाहिशों  को
जोर से
डालना ऐसी नज़र मुझपे
लगे मैं बस एक वस्तु होऊं

कि लगे अभी जल जाऊं
धरती फटे
मैं समा जाऊं
जैसे कि
मेरा कोई अपना अस्तित्व ही न हो
मैं निहायत ही
तुम्हारी इस सोच का हिस्सा होऊं

कि कहीं अकेले जाने में
डर से कदम खुद ब खुद ही पीछे मुड़ जाएँ

जड़ हो जाएँ


पर विश्वास करो मेरा

मैं उठूंगी
दम थाम कर
हूंकार भर के उठूंगी
कि चाहे जितना दबाओ मुझे
उतना ही मजबूत होउंगी मैं

कि जब उठूँ
तुम देखने मुझे
अपनी हारी हुई
आंखों से


मेरी आशा भरी
मजबूत
नज़रों को

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