Tuesday, February 28, 2017

जब छिपकली कमरे में आयी

बड़ी मुश्किल की बात थी
उस दिन रात को 
जब खिड़की के परदे हटाते समय ,
हाथ पे आ गिरी 
निरी सी छिपकली ।
पूरे कमरे  में मैंने आपातकाल जारी कर दिया ,
अब तो कोई काम  नहीं होगा , 
जब तक ये कमरे से बाहर न चली जाए ।


हॉस्टल में अपने दोस्तों को भी मैंने इतिल्ला कर दिया ,
जल्द से जल्द इस इस स्थिति में हमारी 
मदद के लिए आ जाएँ ।

अब ये छिपकली तो हैं ही बहुत डरावनी ,
इन्होंने भी तत्परता दिखाते हुए ,
हमारे घुड़कने वाले बक्शे के पीछे अपनी जगह बना ली ,
अब झाडू से मारो या बक्शे को ,
आराम से निश्चिन्त बैठी थीं वो ,
और यहाँ,
 हमारी जान निकली जा रही थी 
रात को सोयेंगे कैसे ।

तब तक हमारे दोस्त भी आ गए थे ,
हम एक बार चिल्लाते तो वो,
दो बार और चिल्लाते ,
आस पास के कमरे वाले बाहर आ गए 
उन्होंने सोचा,
 पता नहीं कौन सा बड़ा जानवर आ गया ।

पर छोटी मुँह बड़ी बात वाली कहावत ,
यहाँ पूरी उस निरी छिपकली के ऊपर सिद्ध थी ,
हम तीनो ने मिलके खूब कोशिश की 
सारे सामानों को कमरे से बहार कर दिया । 
पर हिम्मत तो देखिये, 
हमारी नहीं छिपकली की 
वो मैडम अब भी हमारे सूटकेस पे चढ़ के ही बैठी थी ।

वो तो धन्य हैं हमारे घरवाले,
की घुड़कने वाले सूटकेस था ,
वरना वो रात तो बैठे बैठे ही कटती ।

धीरे धीरे उसे हमने ,
छिपकली सहित  बाहर कर दिया 
और अगर टूट जाने के दर नहीं होता तो 
उसे सीढ़ियों पर  छिपकली सहित दौड़ाते उतार  भी देते ।


अंततः,मैडम हमारे कमरे से बाहर  हुई 
और 
हमारी  बेचैनी  फारिग हुई ।
  

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