Thursday, March 23, 2023

बसन्त



बसन्त आया है

आयी हैं गेहूँ की बालियां 
और आएं हैं सरसों के फूल 
आये हैं धुप की गर्मी के साथ 
फूलों के रंग 
होली की धूम समेटे हुए ,
आये हैं हुरदंग मचाते कुछ बादल,

बिछा दी है , 
पत्तों ने सुनहली चादर, 
इनके आने की ख़ुशी में ।
लुका-छिपी खेल रहे हैं ,
फलों के मंजर।

गर्मी आने को है आतुर 
पर ठण्ड को भी है जाने से इंकार 
ये खींचातानी देख ,
हॅस रही है कोयल 
और 
गा रही है अपने गीत, 

इन सबको देख कर 
अपनी चादर समेटकर 
चल दिया है 
चाँद | 

कि , बसंत आया है | 

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