Wednesday, February 14, 2018

तुम्हारा बुना स्वेटर माँ।

रोज सुबह
तुम्हारे हाथ से प्यार से बने स्वेटर पहनते ही
दिन  अच्छा  हो जाता है माँ।

कितनी मेहनत से बनाया होगा न ।
हज़ारों में एक रंग चुनके
किताबों में छपी अनंत डिज़ाइन में एक लेकर।
बुनने के काँटों में फंदा, एक उल्टा ,एक सीधा कर।
घंटो हाथ चलाते,

ऊन का गोला बना बनाकर ,
अपनी जिंदगी के सारे काम छोड़ कर,
इसमें सारा प्यार -दुलार भरकर।

तभी ,
तभी तो,
इसको पहनते ही ।
सारी ठंड हवा हो जाती है
और तुम्हारे प्यार की गर्माहट भर जाती है ।

ये लाल स्वेटर भी न ।

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