Friday, June 22, 2018

मेरी पहचान

मैं ,बसंत से पतझड़  तक खिलता फूल  ,
मैं ,वो बारिश की पहली बूँद ,
मैं ,सुबह के सूरज की पहली किरण ,
मैं ,रात का पहला सितारा |
मैं तुम और तुम मैं ,


मैं ,पहाड़ के ऊपर का बादल ,
मैं ,वो जंगल में  अचानक से दिख के गायब हुआ खरगोश  ,
मैं ,वो चाय की अचानक से आयी सुगंध,
मैं, सुबह सुबह की तुम्हारी देह की गंध ,
मैं ,अचानक से आयी किसी की याद ,
मैं ,रात के दो बजे की बेचैन कर देने वाली खुली नींद,
मैं ,गर्मी की दोपहर की ठंडी हवा ,
मैं ,नदी के किनारे बैठे पैरों से
अठखेलियां करती धारा ,
मैं ,आसमान को छूने  की कोशिश
में लगा पहाड़ ,

मैं,उसके छूके वापस आने
के इंतज़ार में
बैठी
धरती |


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