मैं ,बसंत से पतझड़ तक खिलता फूल ,
मैं ,वो बारिश की पहली बूँद ,
मैं ,सुबह के सूरज की पहली किरण ,
मैं ,रात का पहला सितारा |
मैं तुम और तुम मैं ,
मैं ,पहाड़ के ऊपर का बादल ,
मैं ,वो जंगल में अचानक से दिख के गायब हुआ खरगोश ,
मैं ,वो चाय की अचानक से आयी सुगंध,
मैं, सुबह सुबह की तुम्हारी देह की गंध ,
मैं ,अचानक से आयी किसी की याद ,
मैं ,रात के दो बजे की बेचैन कर देने वाली खुली नींद,
मैं ,गर्मी की दोपहर की ठंडी हवा ,
मैं ,नदी के किनारे बैठे पैरों से
अठखेलियां करती धारा ,
मैं ,आसमान को छूने की कोशिश
में लगा पहाड़ ,
मैं,उसके छूके वापस आने
के इंतज़ार में
बैठी
धरती |
मैं ,वो बारिश की पहली बूँद ,
मैं ,सुबह के सूरज की पहली किरण ,
मैं ,रात का पहला सितारा |
मैं तुम और तुम मैं ,
मैं ,पहाड़ के ऊपर का बादल ,
मैं ,वो जंगल में अचानक से दिख के गायब हुआ खरगोश ,
मैं ,वो चाय की अचानक से आयी सुगंध,
मैं, सुबह सुबह की तुम्हारी देह की गंध ,
मैं ,अचानक से आयी किसी की याद ,
मैं ,रात के दो बजे की बेचैन कर देने वाली खुली नींद,
मैं ,गर्मी की दोपहर की ठंडी हवा ,
मैं ,नदी के किनारे बैठे पैरों से
अठखेलियां करती धारा ,
मैं ,आसमान को छूने की कोशिश
में लगा पहाड़ ,
मैं,उसके छूके वापस आने
के इंतज़ार में
बैठी
धरती |
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