Tuesday, September 4, 2018

कनेर के फूल ।

 
शाम को घर आते वक्त, 
एक कनेर का पेड़ दिखा,
दिखता तो ,
शायद,
रोज़ ही होगा,
पर आज बारिश के बाद,  
फूल सड़क पर बिखरे थे ,
तो नज़र आ गया ।
उन फूलों को
उंगली में ,
पहनने में,
बड़ा सुकून मिला।


गांव में ,
हमारे घर के,
सामने वाले,
मोड़ पर
एक कनेर का पेड़ है,
वो फूल,
जब नीचे की
घास पर ,
गिर के,
फैलते हैं ,
बड़े खूबसूरत लगते हैं।

बचपन में,
खेलते समय 
ये फूल 
चुन चुन कर ,
अपनी उंगलियों 
में पहनना ,
उसकी माला बनाना,
खुद से ही,
बनाये गए ,
उल्टे पुल्टे खेल खेलना,
खूब पसंद था हमें ।

घरवालों की परेशानी का भी 
उपाय था वो,
मोड़ से आगे जाने से,
रोकने के लिए,
हमें तोते जैसे पढ़ाया था,
रात में उसपर भूत आते हैं।


इस बात पर तो,
विश्वास है ,
अब भी मुझे।
मैं और बचपन ,
अब भी ,
अच्छे दोस्त हैं।


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